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- जाति, पंथ, भाषा, मजहब, क्षेत्र एवं लिंग भेद के बिना जन-कल्याण और मानव समाज की निस्वार्थ सेवा करना।
- भारतवर्ष में निवास करने वाले वनवासी (आदिवासी) जनजातिय, अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग एवं समाज के अन्य उपेक्षित एवं निर्बल वर्गों के नागरिकों के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, चारित्रिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के लिए कार्य करना।उक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु शिक्षण संस्थाएं, छात्रावास, वाचनालय पुस्तकालय, संस्कार केंद्र, समुदायिक विकास केंद्र, कृषि एवं गौ संवर्धन केंद्र, खाद एवं बीज वितरण केंद्र,अन्न बैंक, स्वरोजगार प्रशिक्षण प्रशिक्षण केंद्रों, गृह उद्योग प्रशिक्षण चिकित्सालय आदि की स्थापना एवं संचालन करना तथा निर्धन व मेधावी छात्रों की छात्रवृत्ति प्रदान करना ।
- घर पर्यावरण के समस्या के निवारण हेतु सभी प्रकार के आवश्यक कार्य करना एवं इस हेतु वृक्षारोपण करना व इस कार्य में संलग्न व्यक्तियों एवं संस्थाओं के साथ सहयोग करना व उनकी सहायता करना व सहायता लेना।
- ग्रामों के विकास हेतु पशुपालन, संवर्धन एवं दुग्ध उत्पादन केंद्रों, कृषि आधारित लघु उद्योगों एवं गिरी उद्योगों और सौर ऊर्जा केंद्रों, गोबर गैस उत्पादन केंद्रों आदि आर्थिक विकास केंद्रों की स्थापना एवं संचालन करना तथा इन कार्यों में संलग्न व्यक्तियों एवं संस्थाओं को सहयोग करना व लेना।
- ग्रामों एवं नगरों के पिछड़े क्षेत्रों में महिलाओं के सर्वांगीण उत्थान हेतु साक्षरता केंद्र, पौढ़ शिक्षा केंद्र, अनौपचारिक शिक्षा केंद्र उद्योग एवं तकनीकी प्रशिक्षण केंद्रों तथा कामकाजी महिला आवास केंद्रों की स्थापना एवं संचालन करनामहिला एवं शिशु के स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विकास हेतु परिवार कल्याण केंद्र की स्थापना एवं संचालन करना। परित्यक्ता- विधवा एवं अनाथ महिलाओं के सहायतार्थ सभी उपयोगी एवं आवश्यक कार्य करना।विकलांगों, असहाय एवं अनाथ व्यक्तियों को स्वावलंबी बनाने हेतु सभी प्रकार के आवश्यक कार्य करना।
- अकाल बाढ़, भूकंप, तूफान एवं प्राकृतिक एवं आकस्मिक विपत्तियों में पीड़ितों की सहायता करनासमाज में ऊंच-नीच हटाकर सामाजिक समरसता एवं राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास करने हेतु सभाओं, सम्मेलनों, विचार गोष्ठियों परंपरागत उत्सवों, पर्वों, मेलों, एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि विभिन्न सभी आवश्यक कार्यक्रमों का आयोजन व संचालन करना व इन कार्यों में संलग्न संस्थाओं को सहयोग करना।